दूब और गेहूँ का मामा

दूब और गेहूँ का मामा

गीत
सूर्य प्रकाश मिश्र...और आगे
काली टोपी

काली टोपी

साहित्य का भारतीय परिपार्श्व
मूल : पोनकुन्नम वर्की अनुवाद : संतोष अलेक्स श्री पोनकुन्नम वर्की ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत कविता से की...और आगे

प्यादों की शहादत

व्यंग्य
शशिकांत सिंह 'शशि' सुप‌रिचित व्यंग्य लेखक। बटन दबाओ पार्थ, सागर मंथन चालू है, मंडी में ईमान (व्यंग्य संकलन) एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। संप्रति पी.जी.टी. भूगोल, जवाहर नवोदय विद्यालय सुखासन, मधेपुरा, बिहार।...और आगे

जिंदगी का कायदा

गजल
नजर को ये कभी लगता नहीं है। जमीं से आसमाँ मिलता नहीं है। ...और आगे
संगीतकार के रूप में बूढ़े एंड्रे का अनुभव

संगीतकार के रूप में बूढ़े एंड्रे का अनुभव

साहित्य का विश्व परिपार्श्व
मूल: थॉमस हार्डी अनुवाद : सुमन वाजपेयी सुप्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक थॉमस हार्डी का जन्म २ जून, १८४० को इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता एक राजमिस्त्री और बिल्डर थे; उनकी माँ ने पढ़ने और किताबों का शौक अपने बेटे को दिया।...और आगे

लोकसंस्कृति में तीर्थयात्रा की परंपरा

आलेख
सुमन चौरे सुपरिचित लेखिका। 'निमाड़ का सांस्कृतिक लोक' और 'मोहि ब्रज बिरसत नाहीं' पुस्तक एवं अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक और शोध-पत्रिकाओं में लेख एवं संस्मरण प्रकाशित। ...और आगे

घर-घर बसती भगवती

लघुकथा
सत्य शुचि मगर आजकल भगवती मेरे घर बिना सूचना के नदारद है, अतः मेरा चिंतित रहना-होना स्वाभाविक था। यहाँ एक खास बात और है कि भगवती मोबाइल नहीं रखती थी,...और आगे
ज्योतिर्मयी

ज्योतिर्मयी

कहानी
संजय कुमार मालवीय सुपरिचित लेखक। 'प्रायश्चित्त', 'बदलते मौसम', 'गिरगिट' एवं 'अतीत लौट आया' आदि कहानियाँ व 'बर्फ और अंगारे' उपन्यास पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सेवा में कार्यरत। ...और आगे
यही मेरा वतन

यही मेरा वतन

प्रतिस्मृति
मेरे पाँच बेटे हुए, सुंदर, हृष्ट-पुष्ट और नेक, जिन्होंने व्यापार को और भी चमकाया और जिनके भोले, नन्हे बच्चे उस वक्त मेरी गोद में बैठे हुए थे, जब मैंने प्यारी मातृभूमि का अंतिम दर्शन करने के लिए कदम उठाया। ...और आगे

मानव जीवन से बढ़कर क्या?

संपादकीय
हर आम चुनाव में राजनीतिक दल एक घोषणा-पत्र जारी करते हैं। इस घोषणा-पत्र को अलग-अलग नाम दिए जाते हैं, जिसमें एक राजनीतिक दल यह घोषित करता है ...और आगे