'अमृत महोत्सव' से 'अमृत काल' की ओर
एक विराट् देश की स्वतंत्रता की ७५वीं वर्षगाँठ, इससे बड़े गौरव और प्रसन्नता की बात क्या हो सकती है! वह स्वतंत्रता, जिसे पाने के लिए दुनिया के इतिहास का सबसे लंबा संग्राम लड़ा गया। ...और आगे
प्रतिस्मृति
कालापानी के राजनीतिक कैदी
पुरानी देशी जेलों में सजा देने के लिए इतना ही पर्याप्त था कि कैदी को वहाँ बंद करके उसकी स्वतंत्रता छीन ली जाए; किंतु ब्रिटिश सरकार की जेलों में यह भी आवश्यक है कि प्रत्येक कैदी कुछ-न-कुछ काम भी करे। ...और आगे
कहानी
टाइगर हिल
जानी-मानी साहित्यकार। सात कहानी-संग्रह, सात उपन्यास, तीन कविता-संग्रह, छह ललित-निबंध और तीन पुस्तकें अंग्रेगी में, तीन अनुवादित पुस्तकें.... ...और आगे
संपादकीय
स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर
राष्ट्रवादी चिंतक-विचारक तथा भावपूर्ण लेखक-कवि व प्रखर वक्ता। मलयालम के प्रसिद्ध 'केसरी' साप्ताहिक के संपादक रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक; अनेक लोकप्रिय विचारपूर्ण पुस्तकों के यशस्वी लेखक। 'प्रज्ञा प्रवाह' के संयोजक। ...और आगे
आजादी के अपने-अपने अर्थ
स्मृति में आज तक अंकित है। दशकों पूर्व हम ऊपरवाले द्वारा सृजित धरती पर प्रकृति के स्वर्ग कशमीर गए थे। ...और आगे
लोक-साहित्य
लोक-स्वर में स्वाधीनता की तड़प की गूँज
लोक-साहित्य की आधिकारिक लेखिका। कहानी, उपन्यास लोक-साहित्य, नाटक, निबंध, बाल-साहित्य आदि विषयों पर शताधिक कृतियाँ तथा अनेक संपादित कृतियाँ प्रकाशित। ...और आगे
साहित्य का विश्व परिपार्श्व
द कॉमेडी ऑफ एरर्स
साइरेकस और एफेसस-दो परस्पर पड़ोसी देश थे। लेकिन अनेक मतभेदों के कारण दोनों देशों के राजा कट्टर शत्रु थे। किसी एक देश का नागरिक दूसरे देश में प्रविष्ट न हो, इसके लिए उन्होंने बड़ा सख्त कानून लागू कर रखा था। ...और आगे
साहित्य अमृत मासिक का लोकार्पण
तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकार दयाल शर्मा को 'साहित्य अमृत' का प्रवेशांक भेंट करते हुए प्रबंधक संपादक श्यामसुंदर, साथ में हैं पत्रिका के संस्थापक संपादक प. विद्धयानिवास मिश्र एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार ...और आगे