धरती के सितारे, अंतरिक्ष में उतारे

आज बेटी अमला की १५वीं सालगिरह थी। अतिथियों से हॉल खचाखच भरा था। रात के दस बज चुके थे, लेकिन अभी तक अमला के पिता ‘गोल्डन ऐरो’ घर नहीं आए थे। सभी उनके इंतजार में थे। बेटा राजीव और उनकी पत्नी संध्या ने कई बार फोन मिलाया, लेकिन हर बार यही उत्तर मिलता था कि उन्हें निकले हुए कई घंटे बीत गए।

ठीक दस बजकर चालीस मिनट पर टेलीफोन की घंटी बजी। लपककर रिसीवर उठाया, आवाज आई, ‘‘मैं पुलिस स्टेशन से इंस्पेक्टर रावत बोल रहा हूँ, हमें अत्यंत खेद के साथ यह सूचना मिली है कि अभी-अभी किसी अज्ञात लोक से आई उड़नतश्तरी के द्वारा वैज्ञानिक ‘गोल्डन ऐरो’ का अपहरण कर लिया गया।’’

सुनते ही सभी के चेहरे उदास हो गए। उड़नतश्तरी द्वारा इस वर्ष की यह एक और अपहरण की घटना थी। इससे पहले देश के प्रसिद्ध संगीतकार, अनेक राजनेताओं का उड़नतश्तरी के द्वारा अपहरण किया जा चुका था। टेलीविजन के परदे पर ‘वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो’ की विज्ञान के क्षेत्र में दी गई उपलब्धियों को बताया जाने लगा। उनके अपहरण की रिपोर्ट चित्रों के साथ दिखाई जाने लगी।

‘वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो’ का अपहरण एक तरह से हमारी वैज्ञानिक शक्तियों का अपहरण था। ‘गोल्डन ऐरो’ देश के गिने-चुने वैज्ञानिकों में से एक थे। उन्होंने हवा विहीन क्षेत्रों के लिए ऑक्सीजन यंत्र की खोज की, इस उपलब्धि के कारण उन्हें ‘गोल्डन ऐरो’ की उपाधि से विभूषित किया गया था।

अब टी.वी. कैमरा चंद्रमा की धरती की तसवीर दिखाने लगा। हमारे पड़ोसी उपग्रह चंद्रलोक की धरती के लिए ऑक्सीसन यंत्र की खोज किसी वरदान से कम नहीं थी। चाँद की धरती पर रहनेवालों को अपनी पीठ पर ऑक्सीजन से भरे थैले लटकाकर रखने पड़ते हैं, ऑक्सीजन यंत्र की नई खोज से उनके थैले उतरनेवाले थे।

वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो का संक्षिप्त परिचय दिया गया—परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी अमला और बेटा राजीव। बेटी की सालगिरह पर यह अपहरण किसी बड़ी दुर्घटना से कम नहीं था।

आइए, अब हम आपको वैज्ञानिक ‘गोल्डन ऐरो’ के बँगले में उनके वैज्ञानिक कक्ष की ओर ले चलते हैं। वैज्ञानिक कक्ष एक लोहे की बंद अलमारी में था, जिसे केवल कंप्यूटर द्वारा ही खोला जा सकता था। कंप्यूटर भी एक तरह से रोबोट की तरह ही बनाया गया था। जिसमें दो छोटे-छोटे हाथ-पैर, एक बड़ा सिर, जिसमें अनगिनत छोटे-छोटे रंग-बिरंगे बल्ब, पुरजे थे, इसी में वैज्ञानिक के अनेक नए-पुराने रिकॉर्ड बंद थे। वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो की हर दिन की डायरी भी इसी में रिकॉर्ड की जाती। तरंगों द्वारा वे अपनी आवाज में हर बात इसमें जब चाहते रिकॉर्ड करा सकते थे।

बेटी अमला और राजीव कंप्यूटर से रिकॉर्ड की गई डायरी में वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो की आवाज साफ सुन रहे थे। मेरे बच्चो! मैं जानता हूँ, आज मेरी बेटी की सालगिरह है। उसी के लिए मैं समय से आधा घंटे पहले अपने ऑफिस से निकला ही था कि सुनसान रास्ते पर अचानक तेज हवाओं का तूफान सा आया। सड़क की लाइटें एक साथ बुझ गईं। मेरी कार की लाइट भी नहीं थी। अँधेरे में मैंने अपनी कार रोक दी। रोकते ही कार का दरवाजा तेजी से खुला। मुझे पकड़कर बाहर खींचा और सामने घूमती हुई उड़नतश्तरी में ले जाकर बंद कर दिया। तश्तरी हवा में उठी और घूमती हुई आकाश में दौड़ने लगी। मुझे एक कुरसी पर बिठाकर बाँध दिया है। साथ आए हुए प्राणी मुझे किसी नए लोक के प्राणी मालूम होते हैं। इनकी आवाज और ताकत का अंदाजा नहीं है। मेरे बालों में छिपा कंप्यूटर ही मुझे मेरे कंप्यूटर में रिकॉर्ड कराने में मेरी मदद कर रहा है।

उड़नतश्तरी किसी हाई इलेक्ट्रिक पावर से संचालित है। यह शक्ति उसे सूर्य की किरणों से मिलती है। तीन सुनहरे रंग के लंबे प्राणी इसके चालक हैं। बचाव के लिए बाहर की ओर ‘रॉकेट बम’ है। इसके तेज घूमने के कारण कोई भी वस्तु इनसे टकराकर दूर छिटक जाती है इसीलिए इन तश्तरियों पर किसी बाहरी वस्तु से हमला सफल नहीं होता है। सुनहरे लंबुओं ने मुझे चमकती पोशाक पहनने को दी है, इसके आगे कंप्यूटर में उनकी बातें रिकॉर्ड नहीं थीं।

उड़नतश्तरियों का रहस्य रहस्य ही बना हुआ था। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए सरकार की ओर से एक नई योजना तैयार की गई। एक नए वैज्ञानिक राजेश का नाम उछाला गया, जो असल में जासूस राजेश था। यह भी घोषणा हो गई कि वैज्ञानिक राजेश उड़नतश्तरियों के लोक का पता लगाएँगे, इसके लिए उन्हें तैयार किया जा रहा है। और सचमुच एक दिन उड़नतश्तरियों द्वारा जासूस राजेश का भी अपहरण कर लिया गया। जासूस राजेश की अँगूठी में दिशासूचक ट्रांसमीटर था, इसी ट्रांसमीटर के द्वारा पृथ्वी पर नियंत्रण-कक्ष में अपना संदेश भी भेजा जा सकता है।

पोशाक में लगे बटन एक तरह से टाइम बम हैं। बटन खींचकर सामनेवाले के ऊपर फेंकते ही बिना धमाके के जलकर वहीं ढेर। सिगरेट की पॉकेट में सिगरेट की तरह रिवॉल्वर से चलनेवाली गोली, सिगरेट सुलगाई नहीं कि सामनेवाले के ऊपर फायर हो गया। उड़नतश्तरी जासूस राजेश को उड़ाकर अंतरिक्ष में ले गई। अंतरिक्ष में घूमते हुए ग्रहों की ओर से वैज्ञानिक शक्तियों के एक-दूसरे पर प्रहार और अपहरण की घटनाएँ भी पृथ्वीवासियों के सुनने में आने लगीं। जासूस राजेश ने इस बात का संकेत दिया कि उड़नतश्तरी को किसी दूसरे ग्रह ने अपने जाल में फँसा लिया है।

जासूस राजेश को उड़नतश्तरी में से बाहर निकाला। तश्तरी के सुनहरे लंबुओं को उस लोक के सैनिकों ने पूरी तरह जकड़ रखा था। जबकि राजेश के साथ ऐसा कुछ नहीं किया गया। सम्मान के साथ उसे बाहर निकाला और तेज यान जैसी काली लंबी कार में बिठाकर गगनचुंबी इमारतों के बीच में ले जाया गया। जासूस राजेश ने अपने संदेश में बताया—ऐसा लगता है कि यह ग्रह पृथ्वी लोक की तरह ही संपन्न, हवादार लोक है। यहाँ की वैज्ञानिक ताकत भी किसी से कम नहीं। यहाँ के रक्षकों ने मेरे साथ पूरी हमदर्दी दिखाई है। उनके ही इशारे पर मैं सीधे पृथ्वी लोक वार्त्तालाप कर सका हूँ।

मुझे बताया गया है कि यह मंगल ग्रह का ही एक विकसित हिस्सा है। मंगल ग्रह की ओर से शीघ्र ही पृथ्वी लोक के नन्हे-मुन्नों के लिए पर्यटन की एक नई योजना शुरू होनेवाली है। इस योजना में यहाँ के रॉकेटनुमा तेज यान पृथ्वी लोक के बच्चों को बिठाकर लाएँगे और अपने लोक की सैर कराएँगे। यहाँ किसी महारानी का शासन है। महारानी बच्चों से बेहद प्यार करती है।

मंगल ग्रह की ओर से पर्यटन योजना में शामिल पृथ्वी लोक के बच्चों को पहले रॉकेट स्टेशन लाया गया। सभी के अंतरिक्ष में जाने के लिए विशेष पोशाकें दी गईं। इन बच्चों में अंतरिक्ष गोल्डन ऐरो की बेटी अमला और बेटा राजीव भी था। वैज्ञानिक के बेटे और बेटी का संपर्क सीधे पृथ्वीलोक में अपने कक्ष में लगे कंप्यूटर से तो था ही, साथ में उनके कंधों पर ऑक्सीजन के थैले भी नहीं थे। उनके पास थे अपने डैडी के ऑक्सीजन यंत्र।

सायरन की आवाज के साथ ही रॉकेट स्टेशन से बच्चों को अंतरिक्ष में ले जानेवाले रॉकेट की पूरी तरह जाँच करके बस कुछ सेकेंड में छूटने का संकेत मिल चुका था। एक धमाके के साथ रॉकेट सफेद धुआँ छोड़ता हुआ, ऊपर हवा में बढ़ता, आकाश की ओर जाता हुआ दिखाई दिया।

टेलीविजन के परदे पर उनकी तसवीर आनी शुरू हो गई। रॉकेट में लगे ऑटोमैटिक कैमरे पृथ्वी पर अपने चित्र भेजने लगे। टेलीविजन के परदे पर कभी बच्चों के मुसकारते हुए चेहरे नजर आते तो कभी रॉकेट का आगे का नुकीला भाग। अब तक बच्चों ने मंगल गृह की महारानी और उसकी राजकुमारी की कहानियाँ सुनी थीं। कहानी में महारानी और उसकी राजकुमारी को बच्चों से प्यार करनेवाली बताया गया था। आज बच्चे उसी मंगल लोक की ओर जा रहे थे। मंगल लोक की धरती के चित्र आने शुरू हो गए। संदेश सुनाई देने लगा—‘बच्चो! हम जल्दी ही मंगल लोक की धरती पर पहुँचनेवाले हैं। बच्चों के स्वागत के लिए इस लोक की महारानी अपने परिवार के साथ रॉकेट स्टेशन पर मौजूद रहेंगी।’

मंगल ग्रह पर पृथ्वी लोक की तरह ही जीवन है। यहाँ भी समय पर सूरज निकलता है, चाँद छिपता है और रात में तारे चमकते हैं, मुसकारते फूल हैं, उनमें खुशबू हैं, खुशबू ऐसी है कि सभी एक-दूसरे से प्यार करते हैं। सबसे मजेदार बात यह थी कि यहाँ के निवासी आकार में बौने हैं—दो फीट से बड़ा यहाँ कोई नहीं है, लेकिन उनमें ताकत कमाल की है। क्या कोई मशीन इतनी फुरतीली हो सकती है। यहाँ के निवासी जन्म नहीं लेते बल्कि उन्हें साँचों में ढाला जाता है, तभी इनके शरीर लोहे की तरह मजबूत हैं। राजीव ने उनका स्पर्श किया, ‘अरे, यह तो सचमुच फौलाद का बना है।’

‘हाँ, हमारा शरीर भी फौलाद का है और हमारी खोपड़ी में संसार की सभी भाषाएँ हैं। हम तुम्हारी तरह बोल भी सकते हैं।’ लोहे के बौने आदमी ने कहा।

बच्चों ने देखा, आकाश में दूर जाल सा फैला हुआ है। पूछा, यह जाल कैसा है?

लोहे के बौने आदमी ने जबाव दिया, ‘यह हमारे लोक का माया जाल है। जब भी कोई बिना अनुमति के हमारी सरहद में प्रवेश करता है, तो इसी जाल में उलझ जाता है। पिछले दिनों एक उड़नतश्तरी इस जाल में फँस गई थी, जिसमें पृथ्वी लोक का वैज्ञानिक जासूस राजेश था।’

राजीव ने कहा, ‘हाँ, वही उड़नतश्तरी होगी, जिसमें हमारे लोक के जासूस राजेश का अपहरण किया गया था।’

‘हाँ, अब यह उड़नतश्तरी हमारे कब्जे में है और जासूस राजेश हमारे अतिथि हैं। हम जानते हैं कि पृथ्वी लोक के निवासी सभी से प्रेम करते हैं और प्रेम करनेवालों को हम भी बहुत चाहते हैं। हमसे किसी के मन की बातें छिपी नहीं रह सकतीं। हमारे स्पर्श से ही हमें सब जानकारी तुरंत मिल जाती है।’

‘क्या हम अंकल राजेश से मिल सकते हैं?’ अमला ने पूछा।

‘क्यों नहीं, मिल सकते हैं। इन दिनों हमारे वैज्ञानिक ट्रेनिंग कक्ष में नई वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में उन्हें नई और सही जानकारियाँ दे रहे हैं।’ मंगल लोक में उतरते ही ऑक्सीजन से लदे थैले अलग कर दिए गए। तेज हवा का झोंका आया और यान की खिड़कियाँ तुरंत खुल गईं। दरवाजे खुलते ही बच्चों का दल मंगल लोक की धरती पर उतर गया। मंगल ग्रह की रंग-बिरंगी धरती, छोटे-छोटे रंगीन पक्षियों के झुंड, पक्षियों पर वहाँ के बौने निवासी बैठकर यात्रा करते और हवा में उड़ते हुए नजर आते। हवा में बहती हुई सुगंध से मन और प्राण खिल उठे। बच्चों ने मंगल ग्रह पर दूध की बहती हुई नदियाँ देखीं।

अब राजीव ने लोहे के बौने आदमी से पूछा, ‘मिस्टर जासूस हमें यह बताओ कि यहाँ किसी राजा का शासन क्यों नहीं है? यह राजकुमारी कौन है?’

लोहे के बौने आदमी ने बताया, ‘शासन करनेवाली राजकुमारी हमारे ग्रह की देवी है। राजकुमारी सौंदर्य में अद्वितीय है और आकार में भी पाँच फुट से कम है। हमें यह आकार और जीवित रहनेवाली शक्तियाँ प्राप्त हैं। राजकुमारी का जन्म नहीं हुआ, यह हमें शक्ति से प्राप्त हुई हैं, इसलिए जन्म और मृत्यु से भी अलग हैं।’

‘आयरनमैन, हमने सुना है, तुम्हारे शरीर को ढालने के लिए ढाँचे होते हैं।’

‘हाँ, उसी ढाँचे में छोटे-छोटे पुरजों से हमारे शरीर की रचना होती है। हमारा जन्म नहीं होता, इसलिए मृत्यु भी नहीं होती। जब कोई पुरजा खराब हो जाता है, उसे बदल दिया जाता है। हमारी ताकत भी लोहे के समान शक्तिशाली होती है। हम कुछ भी कर सकते हैं। चल सकते हैं, दौड़ सकते हैं और हवा में उड़ भी सकते हैं।’

‘लेकिन हवा में उड़ते पक्षियों पर यहाँ के निवासी बैठ यात्रा करते नजर आ रहे हैं। इनके बारे में हमें कुछ बताइए।’ एक बच्चे ने पूछा।

‘यहाँ के पक्षी, दूसरे जानवर और यहाँ के निवासी पृथ्वी लोक की तरह ही जन्म लेते हैं। अपनी आयु पूरी करने के बाद उन्हें अपना शरीर छोड़ना पड़ता है, इनके शरीर हल्के होते हैं, तभी ये उड़ते पक्षियों की पीठ पर बैठकर कहीं भी यात्रा कर सकते हैं।’

बच्चों के लिए भेजी गई विशेष रंग की लंबी कार सामने आकर रुक गई। बच्चों की टोली उसमें सवार हो गई। लंबी कार में बैठते ही गाइड ने बताया, ‘पृथ्वी लोक से आए बच्चों का हमारे ग्रह की राजकुमारी सच्चे हृदय से स्वागत करती हैं और सबसे पहले हम बच्चों को राजकुमारी के महल की ओर ले चलते हैं।’

कार में बैठे बच्चे महसूस कर रहे थे, कार पहियों पर नहीं बल्कि बर्फ पर तेजी से फिसलती हुई चली जा रही है। सफेद संगमरमर से ढका राजकुमारी का महल दूर से नजर आ रहा था। महल के ऊपर प्रकाश की किरणें पड़तीं और महल की दीवारें रंग-बिरंगी नजर आने लगीं।

गाइड ने बताया, ‘राजकुमारी के महल के पास ही एक सतरंगी मीनार है। इस में से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, यही प्रकाश की किरणें राजकुमारी के महल को रंग-बिरंगा चमका देती हैं।’ सन्न से करती हुई बच्चों को लेकर जानेवाली लंबी कार महल के अंदर प्रवेश कर गई। राजकुमारी ने फूलों के गुलदस्तों से बच्चों का स्वागत किया। राजकुमारी चाँदनी जैसी सफेद पोशाक में थीं। उनके एक हाथ में गोल चमकदार सितारे की तरह चाँदी की छड़ी थी, जिस पर मोतियों से जड़ा मुकुट था। राजकुमारी मुसकारती तो फूल झरने लगते।

एक बच्चे ने पूछा, ‘राजकुमारीजी! आपके हाथ में चमकती हुई छड़ी क्या है?’

‘यह जादू की छड़ी है, इस छड़ी से हम जो चाहे पा सकते हैं।’

‘क्या मैं अपनी मम्मी के पास पृथ्वी लोक जा सकता हूँ।’ राजीव ने पूछा।

‘हाँ, क्यों नहीं।’ इतना कहते ही जादू की छड़ी का स्पर्श करते ही राजीव अचानक गायब हो गया, बच्चों ने जादू देखा। कुछ ही पल बीते होंगे कि राजीव उनके बीच में था।

‘अरे हाँ, मैं तो अभी अपनी मम्मी से बातें कर रहा था।’

मम्मी ने पूछा, ‘क्यों बेटा राजीव, अपनी मंगल लोक की यात्रा से वापस लौट आया।’ मैं जबाव देता कि यहाँ आ गया। ‘इसलिए कि तुम्हारी मंगल लोक की यात्रा अब यहाँ से शुरू हुई है।’ राजकुमारी ने कहा।

रात्रि विश्राम के लिए बच्चों को फूलों के गद्दों पर सुला दिया गया, बच्चों की रात मीठे सपनों में बीती। सुबह की किरणों ने बच्चों का स्वागत किया। महल की पारदर्शी दीवारों में से सूरज की किरणें सोये हुए बच्चों के ऊपर पड़ीं।

आँखें खुलते ही महल के पास दासियाँ उनकी सेवा में लग गईं। गुलाब कुंड में ले जाकर उन्हें स्नान कराया। सभी को मंगल लोक के निवासियों की तरह पोशाकें पहनने को दीं। दूध की नदी से गरमागरम दूध पीने को मिला। नीली सड़कों पर बिना पहियों की तेजी से रपटनेवाली गाड़ी में बिठाकर उन्हें हंस स्टेशन लाया गया। मंगल लोक के हंसों पर बैठकर बच्चे हवा में उड़ गए। बच्चों ने उड़ते हुए हंसों पर सवार होकर मंगल लोक की रंग-बिरंगी धरती का आनंद लिया।

सुनहरी झील मंगल लोक का बिजली-उत्पादन केंद्र है। झील में चाँदी के रंगवाली छोटी-छोटी मछलियाँ तेजी से इधर से उधर तैरती नजर आतीं, मछलियों के रूप में ये झील की लहरें थीं, जिनसे बिजली तैयार की जाती थी। हंसों का दल एक बाग में उतर गया। बाग में इनसानों की जगह जानवरों के झुंड थे। जानवरों की भाषा ऐसी कि बच्चे ताली बजाने लगे। बच्चों के सम्मान में मंगल लोक के जानवरों ने भोज का आयोजन किया है।

लंबी गरदन के जिराफ अपनी गरदन पर अंगूरों के गुच्छे लटकाए नजर आ रहे थे। सफेद, काली और लंबी पँूछवाले लंगूर रसगुल्ले जैसा कोई स्वादिष्ट व्यंजन बच्चों में बाँटने लगा। शुतुरमुर्ग की चोंच में फल की टोकरी थी। रीछ काजू और किसमिस की बनी खीर बच्चों में परोस रहा था। शेर और बकरी भी बच्चों के मनोरंजन के लिए वहाँ मौजूद थे। राजकुमारी ने सफेद मोतियों की माला सभी बच्चों को उपहार में दीं।

सफेद मोतियों की माला यहाँ के वासियों की ओर से दिया जाने वाला प्रेम और शांति का उपहार था। यहाँ के निवासी किसी से युद्ध करना नहीं चाहते। हाँ, यदि कोई युद्ध जैसी हरकतें शुरू कर देता है, तो उसे छोड़ते भी नहीं। जैसा कि पिछले दिनों उनके मायाजाल में फँसी उड़नतश्तरी और उसमें पृथ्वी लोक के जासूस राजेश सकुशल अपने लोक में उतारकर यहाँ के वैज्ञानिकों के बीच नए वैज्ञानिक यंत्रों और उनकी जानकारी के लिए अतिथि के रूप में सम्मान के साथ रहने की अनुमति मिल चुकी थी।

लोहे के ढाँचों के बीच राजेश और बच्चों की भेंट हो गई। राजीव ने ही सवाल किया, ‘अंकल, क्या तुम्हें मेरे डैडी और दूसरे अपहरण किए गए लोगों के बारे में कुछ जानकारी मिली?’

‘हाँ, बेटे राजीव, मंगल लोक और चंद्रलोक के बीच में उड़नतश्तरी की दुनिया है। अपहरण करने के बाद वे उन्हें अपने लोक ले लाती हैं। मैं उसी लोक में जाने की तैयारी कर रहा हूँ।’

राजेश के साथ बच्चों का दल अब राजकुमारी के महल में था बच्चे चाहते थे कि उन्हें भी अंकल राजेश के साथ उड़नतश्तरी के लोक में पहुँचाया जाए।

सभी बच्चों को सफेद चमकते मोतियों की माला दी गई, जो अँधेरे में भी प्रकाश के बल्बों के समान प्रकाश फैलाती। अब बच्चों का दल राजेश अंकल के साथ उड़नतश्तरियों की दुनिया में जाने के लिए रॉकेट स्टेशन तैयार था। रॉकेट छूटने का सिग्नल मिल चुका था। पहले रॉकेट स्टेशन के ऊपर छतरीनुमा चट्टान को मशीनों के द्वारा एक ओर खिसकाया गया। ऊपर का रास्ता साफ था। एक-दो-तीन धमाकों के साथ रॉकेट सफेद धुआँ छोड़ता हुआ आकाश की ओर जाने लगा। उडनतश्तरी लोक में इसकी खबर पहुँच गई। मंगल लोक की राजकुमारी ने पृथ्वी लोक से आए बच्चों के दल को उड़नतश्तरी लोक रवाना कर दिया गया है। इन बच्चों की पूरे सम्मान के साथ आवभगत की जाए।

उड़नतश्तरी लोक सचमुच दूर से देखने पर उड़नतश्तरी जैसा गोल और चपटा नजर आता था। सबसे विचित्र बात यह थी कि जब भी किसी ने उनके लोक पर हमला किया, तो पूरा लोक उड़नतश्तरी के समान घूमने लगता। आक्रमण करनेवालों के सभी हथियार बेकार हो जाते।

उड़नतश्तरी लोक पीली, गोल-चपटी डिबिया के समान नजर आ रहा था। मंगल लोक का रॉकेट धीरे-धीरे उड़न तश्तरी लोक की ओर बढ़ता जा रहा था। रॉकेट ने अपनी रफ्तार कम की और सीधे रॉकेट स्टैंड पर जाकर खड़ा हो गया। सभी बच्चे चट्टान पर फिसलनेवाली एक विशेष प्रकार की गाड़ी में सवार हो गए। चुंबक शक्ति से चलने वाली वह गाड़ी चट्टानों के बीच से फिसलते हुए सन्न से आगे निकल गई।

उड़नतश्तरी लोक चाँदी के समान चमक रहा था। बड़ी-बड़ी आलीशान गगनचुंबी इमारतें नजर आ रही थीं। इन्हीं फिसलनेवाली गाडि़यों में सुनहरे लंबुओं की कतारें भी थीं, यही इस लोक के रक्षक थे।

रक्षक दल के साथ राजेश अंकल और पृथ्वी लोक के बच्चे गाडि़यों के रुकते ही एक साथ स्टेशन की स्वचालित सीढि़यों के ऊपर एक बड़े कक्ष में लाए गए। कमरे के मध्य बड़ी घूमनेवाली कुरसी पर एक सुनहरा लंबू बैठा था, जो कान पर सुननेवाला यंत्र लगाए किसी से बातचीत कर रहा था।

अब उसने पृथ्वी लोक से आए इस दल की ओर नजर डाली। लंबू बोला, ‘हैलो जासूस अंकल, पृथ्वी लोक से सभी बच्चे कुशलता से यहाँ तक आ गए, किसी को रास्ते में कोई कष्ट तो नहीं हुआ। बेटे राजीव और बेटी अमला तुम्हारे आने की सूचना तुम्हारे डैडी को दे दी गई है। वे जल्दी ही तुम्हारे बीच में होंगे।’

अब जासूस राजेश ने अपना मुहँ खोला, ‘उड़नतश्तरी लोक को देखकर हमें बड़ी खुशी हुई। यहाँ तो सबकुछ वैज्ञानिक ताकतों से जुड़ते हैं। इतनी वैज्ञानिक उपलब्धियों के बाद भी आए दिन पृथ्वी लोक की विशिष्ट हस्तियों का अपहरण करके तुमने हमारे लोकवासियों को असमंजस में डाल दिया है।’

लंबू सुनहरे गंजे व्यक्ति ने कहा, ‘हाँ, तुम ठीक कहते हो, हम पृथ्वी लोक ही नहीं, हर लोक से ऐसी हस्तियों का अपहरण करके यहाँ ले आते हैं, जिससे हम उस लोक की ताकत और वैज्ञानिक खोजों की जानकारी हासिल कर सकें। आखिर हमें भी अपने लोक को शक्तिशाली बनाना है।’

‘वैज्ञानिक ताकत से बढ़कर होती है हमारे प्रेम की ताकत। यदि आज यह ताकत तुम्हारे पास होती तो बात ही कुछ और थी।’ राजीव ने कहा।

‘हम तुम्हारी बात समझते हैं, लेकिन हमारे पास तुम्हारी तरह दिल नहीं है। सभी के ढाँचे मशीनों में ढलते हैं, इसलिए हम प्यार की भाषा नहीं समझते। यह प्यार क्या होता है।’ लंबू सुनहरे व्यक्ति ने कहा।

‘प्यार एक ऐसी ताकत है, जिसके आगे संसार की सभी शक्तियाँ बेकार हैं। हम पृथ्वीलोकवासियों के पास यह ताकत सबसे अधिक है।’ राजीव ने बताया।

इसी बीच राजीव के पिता वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो आ चुके थे। उनके आते ही सभी के चेहरे खिल गए। बच्चों ने तालियाँ बजाईं, राजीव और अमला दौड़कर उनके गले लिपट गए। अब सुनहरे लंबू ने वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो की ओर नजर दौड़ाई, ‘मिस्टर गोल्डन ऐरो, हम प्यार की ताकत में बड़ा होना चाहते हैं। बताइए, उसके लिए हमें क्या करना होगा?’

‘उसके लिए तुम्हें दिल की रचना करनी होगी। धड़कते हुए दिल की रचना, तभी तुम्हें प्यार की भाषा समझ में आ जाएगी।’ गोल्डन ऐरो ने बताया।

सुनहरे लंबू ने कहा, ‘हाँ, हम जरूर दिल की रचना करेंगे। धड़कते हुए दिल की रचना, ताकि हम भी पृथ्वी लोक की तरह वैज्ञानिक ताकत में सबसे बढ़कर हों। लेकिन उसके लिए तुम्हें हमारी मदद करनी होगी।’

‘जरूर मदद करेंगे, मैं ही नहीं, पृथ्वी लोक की संपूर्ण ताकत इसमें तुम्हारे साथ है।’ वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो ने कहा।

यह सुनते ही सभी बच्चे एक साथ बोल पड़े, ‘हाँ, इसमें हम तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।’

अब सुनहरे लंबू ने अपने सैनिक लंबुओं को हुक्म दिया, ‘पृथ्वीलोक से आए सभी बच्चे वैज्ञानिक गोल्डन ऐरो और जासूस राजेश को पूरी मदद दी जाए, ताकि इनके द्वारा धड़कते हुए दिल की रचना की जाए, पूरा उड़नतश्तरी लोक इनका स्वागत करता है।’

चारों ओर से तालियों का शोर सुनाई दिया और देखते-ही-देखते एक पल में सभी बच्चे उड़नतश्तरी लोक के बीचोबीच एक खुले मैदान में थे, जहाँ सुंदर रंग-बिरंगी पोशाकों में सजे युवक और युवतियाँ मुसकराते हुए उनका स्वागत कर रहे थे।

असंख्य स्त्री-पुरुष और बच्चों के बीच पृथ्वी लोक से आए बच्चों का दल खुश नजर आ रहा था। सामने एक भव्य मंच था, मंच पर एक सुनहरा लंबू सभी को अपनी भाषा में पृथ्वी लोक से आए मेहमानों का परिचय दे रहा था, भाषा भी इतनी साफ -सुथरी थी कि सभी को समझ में आ रही थी। घोषणा की गई, ‘पृथ्वी लोक से आए बच्चे उड़नतश्तरी लोकवासियों को अपना प्यार का संदेश देंगे।’

बच्चों के दल में राजीव और अमला सबसे आगे थे। उनकी आवाज के साथ सभी की आवाजें साफ  सुनाई दे रही थीं। ‘उड़नतश्तरी लोक के निवासियों का पृथ्वी लोकवासी हृदय से स्वागत करते हैं। हमें बताया गया कि यहाँ के निवासियों के पास धड़कता हुआ दिल नहीं होता। आज हम वही दिल तुम्हारे पास छोड़ने के लिए आए हैं, क्योंकि हमारे पास एक नहीं अनेक दिल हैं, जो सभी में बाँट देंगे। आप सभी हमारे साथ यह प्रार्थना दोहराएँ—

‘हे परमात्मा! तुम्हारी शक्तियाँ अनंत हैं।

अनंत शक्तियों से हमें भी धड़कते दिल का आभास हो जाए, हमें भी धड़कता दिल मिल जाए, जिस दिल में परमात्मा का निवास हो, परमात्मा जो प्रेम में निवास करता है। हम उसी प्रेमस्वरूप धड़कते दिल का अपने शरीर में प्रवेश चाहते हैं। संपूर्ण लोकों के परमात्मा हमारे ऊपर कृपा करो।’

ये बातें उड़नतश्तरी लोकवासियों ने बार-बार दोहराईं, जैसे वे आकाश से कुछ माँग रहे हैं, उनके हाथ ऊपर उठे हुए थे। सभी ने देखा आकाश मार्ग से दिल की शक्ल की किरणें प्रकाशवान होकर नीचे की ओर आने लगीं, उनके चेहरे खुशी से चमकने लगे।

देखते-ही-देखते संपूर्ण उड़नतश्तरी लोक प्रकाशवान किरणों के सागर में घिर गया। प्रेम की भाषावाला दिल सभी को मिल गया। दिल के मिलते ही सभी खुशी से उछलने लगे, उन्हें लगा कि आज उनकी ताकत पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। उड़नतश्तरी लोक तश्तरी के रूप में ही चारों ओर घूमने लगा। सन्न की आवाज के साथ आकाश से तेजी से घूमते हुए तश्तरी पृथ्वी लोक की ओर आने लगी। पृथ्वी लोकवासियों ने भी खुले दिल से उनका स्वागत किया। उड़नतश्तरी लोकवासियों के आगमन पर खूब उत्सव मनाया गया।

अब हमारी आँखों में थी कल्पना लोक की अनंत कल्पनाएँ, उन कल्पनाओं में थी प्रेम की भाषा, जो हमें एक-दूसरे से मिल-जुलकर रहना सिखाती थी। खिलते रहे कल्पनाओं के अनेक इंद्रधनुष, होंठों पर नाचने लगी मुसकराहटें और बिखरने लगा हृदय में अनंत किरणोंवाला प्रकाश, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।

इस तरह बच्चों का मंगल लोक का यह सफर पूरा हुआ।

लक्ष्मीपुरी, सराय हकीम

अलीगढ़-२०२००१

दूरभाष : ०९८९७०६७२७६

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